Skip to content Skip to footer

॥ श्री जानकीवल्लभ विजयते !!

श्री जानकीनाथ बड़ा मंदिर रेवासा धाम सीकर

श्री रामभक्ति परम्परा में मध्यकालीन मधुरोपासना के प्रवर्तक एवं भक्त मालाकार श्री नाभादास जी की प्रेरणा स्त्रोत रामानंद एकादश द्वारा गद्दियां की मूलपीठ

!! श्रीअग्रदेवाचार्य नम: !!

श्रीअग्रदेवाचार्य द्वाराचार्य पीठ, रेवासा

जगद्‌गुरु द्वाराचार्य अग्रपीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित डॉ. स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज वेदांती, रेवासा पीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर हैं। ये सामाजिक कार्यों, संगठनों व पीठ की परम्परागत साधना से जुड़े संत है। इन्होंने शिक्षा जगत् में विशेष ख्याति अपनी योग्यता के बल पर अर्जित की। संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से वेदान्त का गहन अध्ययन किया। यहीं आपने वेदों का सांगोपांग अध्ययन किया। इसी विद्यालय की तीन परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर आप स्वर्ण पदक से विभूषित किए गए। अखित भारतीय स्तर पर हुए शास्लार्थ में आपने विद्वानों को अपने अध्ययन से चकित कर दिया। भारत सरकार ने इसके लिए आपको स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया। आपने अपना समस्त अध्ययन काशी में रहकर पूर्ण किया। सन् 1981 में आप वेदांताचार्य की उपाधि से अलंकृत हुए। सन् 1982 (2039 वि.) में आप रेवासा पधारे। इन्होंने रेवासाधाम का कार्य अपने हाथों में लिया। इनकी लगन, परिश्रम, सेवाभाव के कारण ये सभी के आदर पात्र बन गए आपके सुप्रयास से रेवासा पीठ में एक वेद विद्यालय चलता है। एक उपाध्याय कक्षा तक विद्यालय चलता है। एक विशाल गोशाला चलती हैं जिसमें 400 से अधिक रुग्ण, असमर्थ गायों का परिपोषण किया जाता है। एक आयुर्वेदिक औषधालय भी पीठ के भवन में चलता है। यहाँ अहर्निश हरिकीर्तन होता रहता है। आपके द्वारा रेवासापीठ से प्रकाशित कराकर श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के साहित्य का वितरण किया जा रहा है, जो अत्यन्त सराहनीय कार्य है। रेवासा पीठ आज अपनी उन्नति की चरम सीमा पर स्थित है। यहाँ साधुजनोचित अनेक समारोह समय समय पर आयोजित होते रहते हैं। अनेक साम्प्रदायिक महत्त्व के उत्सव बड़े समारोहपूर्वक मनाए जाते हैं। रैवासा महापीठ आज एक श्रद्धास्थल बन चुका है।

जगद्‌गुरु द्वाराचार्य अग्रपीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित डॉ. स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज वेदांती, रैवासा स्थिति स्थान, परिवेश और विस्तार

डॉ. स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज वेदांती, रैवासा द्वारा गौ संरक्षण के लिए लिया हुआ प्रण एवं जनचेतना

Finding Your Own Inner Peace

Finding Your Own Inner Peace

IMG-20180718-WA0041

हमारा मूल दृष्टिकोण

वैदिक धर्म को एक सुनिर्धारित व्यवस्था, अनुरूप संस्कारों और अनुष्ठानों से युक्त धार्मिक विश्वासों की संपूर्ण प्रणाली माना जा सकता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कितने ही पृथक विशिष्ट विश्वास देखे जा सकते हैं। ये विश्वास आदिम सामाजिक सम्बन्धों को प्रतिबिम्बित करने वाले अत्यन्त पुरातन विश्वास हें या ऐसे विश्वास हैं जो वैदिक समाज के विकास के परिणाम हैं।

जगद्‌गुरु द्वाराचार्य अग्रपीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित डॉ. स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज वेदांती

Samadhi Monastery invites and welcomes every person seeking refuge in the ancient teachings of wisdom and compassion to practice.

Latest Photos

Latest Articles

Should I Believe in Rebirth?

According to some Buddhist teachings, believing in rebirth is essential to live an ethical life. Otherwise, if there is no fear of karmic consequences in future, what keeps people from doing wrong things and getting into debts? This argument is sad and invalid, because it states that fear of a punishment is the only thing…

Learn more

Subscribe to our mailing list and stay up to date on the events and courses at Samadhi Monastery.